आलस्य बुराई बड़ी,आज अभी तू फेंक।। आलस्य बुराई बड़ी,आज अभी तू फेंक।।
इस कविता में मैंने जीवन के संघर्ष की कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं... इस कविता में मैंने जीवन के संघर्ष की कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं...
दिल में एक, अपूर्णंता का शोर, कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की , दिल में एक, अपूर्णंता का शोर, कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की ,
जीवन एक खेल है उसे खेलना है जीवन एक खेल है उसे खेलना है
काट कर पंख उड़ने कहते, आस्मां ऊँचा ,उड़े कैसे। काट कर पंख उड़ने कहते, आस्मां ऊँचा ,उड़े कैसे।
मेरी उलझनों से जूझकर मुझे, छलांग लगाने का हौसला देती है, वो हौसला जो मुझे जज्बा देता है, वो सब... मेरी उलझनों से जूझकर मुझे, छलांग लगाने का हौसला देती है, वो हौसला जो मुझे जज...